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रात, खामोशी और गौरव गुप्ता

रात, खामोशी और गौरव गुप्ता

Gaahim

गौरव गुप्ता (Gaurow Gupta) आज के समय के ऐसे लेखक हैं जो दिल से लिखते हैं। उनकी कहानियों में बनावट नहीं होती, बल्कि सच्चे एहसास होते हैं। वो बातें जो हम सब महसूस तो करते हैं, लेकिन कह नहीं पाते। उनकी लिखावट उन भावनाओं को शब्द देती है, जो अक्सर रात की खामोशी में हमारे अंदर जिंदा होती हैं।

उनकी किताब “देर रात तक” ने बहुत से लोगों के दिलों को छुआ है। यह किताब उन लोगों के लिए है जो रातों में अपने ख्यालों में खो जाते हैं, जो किसी अधूरी मोहब्बत या पुराने रिश्ते को अब भी याद करते हैं।


कौन हैं गौरव गुप्ता
गौरव गुप्ता एक ऐसे लेखक हैं जिन्होंने जिंदगी के छोटे-छोटे पलों को बेहद सादगी और खूबसूरती से लिखा है। उनके लेखन में कोई बनावट नहीं, सिर्फ सच्चाई और अहसास है। वो दिखाते हैं कि हर इंसान के अंदर एक कहानी छिपी होती है, बस किसी को उसे महसूस करने की नजर चाहिए।

उनकी भाषा बहुत सीधी और साफ होती है। वो कठिन शब्दों से बचते हैं और आम भाषा में गहरी बातें कह देते हैं। शायद यही वजह है कि उनकी कहानियाँ हर उम्र और हर सोच के लोगों तक पहुँच जाती हैं।


“देर रात तक” – एक किताब, कई एहसास
“देर रात तक” गौरव गुप्ता की सबसे चर्चित किताबों में से एक है। इसमें कई छोटी-छोटी कहानियाँ और भावनात्मक लेख शामिल हैं। हर कहानी अपने आप में एक अलग एहसास देती है। कहीं प्यार अधूरा है, कहीं रिश्ता टूटा हुआ है, तो कहीं कोई अपनी यादों में जी रहा है।

इस किताब को पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे हम अपने ही किसी पुराने दिन की यादें पढ़ रहे हों। हर पेज पर एक भाव है – कभी दर्द, कभी सुकून, और कभी वो खामोशी जो सिर्फ दिल समझता है।


उनकी लिखावट क्यों खास है
गौरव गुप्ता की लिखावट की सबसे बड़ी खूबी है उसकी सादगी। वो कहानी नहीं सुनाते, वो एहसास करवाते हैं। उनकी हर लाइन में सच्चाई झलकती है।
उनके किरदार आम लोग होते हैं, जैसे हम और आप। कोई फिल्मी चमक नहीं, बस ज़िंदगी की असलियत होती है।


उनकी कहानियों में:

  • प्यार अधूरा है, मगर उसमें मिठास है।

  • रिश्ते टूटते हैं, मगर यादें ज़िंदा रहती हैं।

  • रातें लंबी हैं, मगर उनमें उम्मीद की एक किरण है।


क्यों पढ़नी चाहिए उनकी कहानियाँ

अगर आपने कभी किसी को सच्चे दिल से चाहा है,
अगर कभी किसी से बात न कर पाने का अफसोस रहा है,
या अगर कभी रात के सन्नाटे में खुद से बातें की हैं,
तो “देर रात तक” आपके लिए लिखी गई किताब है।

यह किताब सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि महसूस करने के लिए है। गौरव गुप्ता हमें सिखाते हैं कि हर दर्द बुरा नहीं होता। कभी-कभी वही दर्द हमें बेहतर इंसान बनाता है।


गौरव गुप्ता का असर
गौरव की लिखावट ने बहुत से लोगों को खुद से जोड़ दिया है। उनकी पंक्तियाँ सोशल मीडिया पर बार-बार साझा की जाती हैं। लोग उनकी किताब के अंश पढ़कर कहते हैं, “ये तो मेरे साथ भी हुआ था।”
और यही एक सच्चे लेखक की पहचान होती है — जो अपने शब्दों में दूसरों की भावनाएँ जगा दे।


निष्कर्ष
गौरव गुप्ता वो लेखक हैं जो लिखते नहीं, बल्कि महसूस करवाते हैं। उनकी कहानियाँ किसी फिल्म जैसी नहीं लगतीं, बल्कि ज़िंदगी जैसी लगती हैं। “देर रात तक” पढ़ने के बाद शायद आपको अपनी ज़िंदगी के कुछ पुराने पन्ने याद आ जाएँ।
और शायद आप भी किसी रात, खिड़की के पास बैठकर सोचें —
कुछ बातें हैं, जो बस देर रात तक ही याद आती हैं।


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