हरियाणा के रोहतक की धूल में जन्मे रणदीप हुड्डा ( Randeep Hooda )का सफर थियेटर की रोशनी से बॉलीवुड के चकाचौंध तक का है। ये कहानी है जुनून की, संघर्ष की और एक ऐसे शख्स की जो हर किरदार में खुद को ढाल लेता है।
शुरुआती दिन
मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स में पढ़ाई के दौरान ही रणदीप के मन में अभिनय का कीड़ा पनपा। पढ़ाई पूरी करने के बाद वो मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया चले गए. वहां उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा. लेकिन भारत की धरती उन्हें खींच लाई और वापसी पर उन्होंने थियेटर का रुख किया। रंगमंच के अनुभव ने उन्हें कैमरे के सामने निखरने का हुनर सिखाया।
बॉलीवुड की दस्तक
2001 में मीरा नायर की फिल्म "मानसून वेडिंग" से रणदीप ने बॉलीवुड में डेब्यू किया। उन्हें पहचान मिली राम गोपाल वर्मा की फिल्म "डी" से, जहां उन्होंने गैंगस्टर का किरदार निभाया। ये रणदीप के करियर का टर्निंग पॉइंट था।
परिवर्तनशील कलाकार
रणदीप उन चुनिंदा कलाकारों में से हैं जो हर किरदार में ढल जाते हैं। रोमांटिक हीरो से लेकर खतरनाक गैंगस्टर तक, हर किरदार को उन्होंने बखूबी निभाया है। "सरफरोश" में उनके काम को सराहा गया, वहीं "ओमकारा" में उनके डाकू के रोल को भुलाया नहीं जा सकता।
खेल और सामाजिक सरोकार
रणदीप सिर्फ एक बेहतरीन कलाकार ही नहीं बल्कि एक कुशल घुड़सवार और पोलो खिलाड़ी भी हैं। उन्हें अक्सर घुड़दौड़ और पोलो मैचों में देखा जाता है। इसके अलावा रणदीप सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
आगे की राह
रणदीप हुड्डा का सफर अभी जारी है। वह चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने खुद को इंडस्ट्री में एक सफल अभिनेता के रूप में स्थापित किया है। यह कहानी है रोहतक के एक लड़के की, जिसने बॉलीवुड में अपनी धाक जमाई और जिसका नाम आने पर हर किसी को एक सच्चे कलाकार की छवि नजर आती है।
