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धींग एक्सप्रेस: हिमा दास

धींग एक्सप्रेस: हिमा दास

Gaahim

असम की हरी-भरी वादियों में, धान के खेतों के बीच, खेल की एक ज्वाला दहक रही थी। यह ज्वाला थी हिमा दास (Hima Das) की, जिसे प्यार से "धींग एक्सप्रेस" के नाम से जाना जाता है। हिमा की कहानी किसी सपने से कम नहीं है, एक ऐसी लड़की की कहानी जिसने अपने जुनून और मेहनत से भारत का नाम रोशन किया।हिमा का जन्म 9 जनवरी 2000 को नगांव जिले के एक छोटे से गांव धींग में हुआ था। वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। बचपन में हिमा को फुटबॉल खेलना बहुत पसंद था। वह अक्सर लड़कों के साथ मैदान में दौड़ लगाती थी। उसकी रफ्तार को देखकर गांव वाले भी दंग रह जाते थे।हिमा की प्रतिभा को पहचानने वाली पहली शख्स थी उनकी टीचर। उन्होंने ही हिमा को स्कूल की दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हिमा ने दौड़ में भी वही कमाल दिखाया, जो फुटबॉल के मैदान में दिखाती थी। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में हिमा के प्रदर्शन ने निपोन दास नाम के स्पोर्ट्स कोच का ध्यान खींचा। निपोन दास ने हिमा की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें गुवाहाटी में बेहतर प्रशिक्षण के लिए ले जाने का फैसला किया।


गुवाहाटी पहुंचना हिमा के लिए आसान नहीं था। उसका परिवार खेती करके अपना गुजारा करता था और उनके लिए हिमा को शहर भेजना एक बड़ा फैसला था। लेकिन हिमा के जुनून और निपोन दास के विश्वास ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।गुवाहाटी में हिमा की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। उन्हें अब संसाधन और उचित प्रशिक्षण मिल रहा था। उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया।हिमा का असली धमाका साल 2018 में हुआ। फिनलैंड में आयोजित आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिमा ने 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला athlete बनीं। हिमा की रफ्तार ने पूरे देश को चौंका दिया। उन्हें रातोंरात राष्ट्रीय हीरो बना दिया।

इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने एशियाई खेलों में रजत पदक और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी सफलता का सिलसिला जारी रखा।हिमा दास की कहानी सिर्फ एक खेल की कहानी नहीं है। यह उन परिस्थितियों को बदलने की ज्वलंत इच्छा की कहानी है, जिनमें पैदा हुआ जाता है। यह कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की कहानी है। हिमा दास ने असंख्य युवाओं को प्रेरित किया है, खासकर उन लड़कियों को जिन्हें सपने देखने की हिम्मत दी है। वह भारत की एक उभरती हुई धावक हैं और उनसे भविष्य में और भी कई उपलब्धियों की उम्मीद की जाती है।


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